Naini Devi Temple

माँ नयना देवी (मन्दिर ) दर्शन – Naina Devi Temple

तालों का शहर नैनीताल – Lake City Nainital भाग – ३

दूसरा दिन

यात्रा वृतांत के पहले भाग को पढ़ने के लिए : तालों का शहर नैनीताल – Lake City Nainital

नींद खुली तो सुबह के 7 बज रहे थे, माताश्री फ्रेश होकर बैठी थी. “अजगर और गैंडे की तरह पड़े रहने” वाले मिशन में नैनीताल के मौसम ने भी खूब साथ निभाया, कल दोपहर से आज सुबह तक पड़े-पड़े हमने अजगर और गैंडे को भी मात दे दी. एक पानी की बोतल लेकर बाहर बरामदें में निकला और नीचे आकर एक झूले पर पसर गया. सुबह उठकर 4-5 ग्लास पानी जरूर पीना चाहिए, इसके अनगिनत फायदे हैं.

उठकर पानी पीने के क्या फायदे हैं, जानने के लिए पढ़िए- सुबह उठकर पानी क्यों पीना चाहिए?

guest house
Jhula at Guest House; Spent Lot of Time on it.

पानी की बोतल खाली हो चुकी थी, झूले पर बैठा सुबह की ताजगी के साथ सामने पहाड़ों के पीछे से उदित होते बाल सूर्य को निहारता रहा. सामने पहाड़ों से सूर्यदेव निकल रहे थे और नीचे नैनीताल और झील के आसपास अंधकार छाया था, अद्भुत दृश्य था. सूर्य की रोशनी पड़ने से पहाड़ों के सिर्फ उपरी हिस्से चमक रहे थे. झील के किनारे नयना देवी मन्दिर से लगातार घंटे की आवाज आ रही थी, जो मन को भा रही थी. एक अलग ही आकर्षण था घंटे की आवाज में, काफी देर आँखें बंद किए झूले पर हम्मोहित अवस्था में बैठा रहा. घंटे के नाद पर मन ठहरा रहा. ऐसा लग रहा था जैसे आवाज अंदर से ही आ रही हो. फिर उठकर पार्किंग में टहलता रहा. दोनों कुमार भी जाग चुके थे, “पापा-पापा” कर दोनों दौड़े आ रहे थे. दोनों की जिद पर फिर से झूले पर आकर जम गया. झूलते-झूलते दोनों कुछ गुनगुना भी रहे थे- “झूला झूले नन्दलाल”, “छोटी-छोटी गैया” कभी कुछ और. आज भी ठण्ड लग रही है, अगर फिर बारिस हुई तो गर्म कपडे खरीदने होंगे. हम बच्चों की जैकेट और इनर तो लेकर आए पर सामान ज्यादा न हो इस वजह से अपने गर्म कपडे नहीं रखे. बच्चे झूले से उतरकर पार्किंग में उछल-कूद करते रहे. पार्किंग में खड़ी दो गाड़ी से सामान उतरता देख ये अंदाजा लग रहा है कि कुछ लोग सुबह-सुबह भी आए हैं.

Rising Sun
Rising Sun View from Guest House, Nainital

कमरे में आकर फ्रेश होने के बाद आज नयना देवी मन्दिर जाकर माता के दर्शन और आशीष लेने का प्लान बना. बच्चों को हल्का-फुल्का फल और बिस्किट दे दिया गया, हमने दर्शन के बाद ही लंच करने की सोची. नौ बजे टहलते हुए गेस्ट हाउस; जिसका नाम माताश्री ने “कैलाश पर्वत” रखा था; से नीचे आए. नीचे आते वक्त भी फिर ऊपर कैसे जाएंगे? यही चिंता थी उनको. वैसे ऊपर ज्यादा दूर नहीं, पर चढाई बिलकुल खड़ी है. धुप खिली हुई थी पर ठण्ड थी, बच्चे जैकेट पहने थे. अपने पास कोई स्वेटर था ही नहीं तो ऐसे ही झेल रहे थे. आप भी जब हिल स्टेशन, पहाड़ों पर ऊंचाई पर जाएँ, चाहे गर्मी ही क्यों न हो एक हल्की स्वेटर जरूर रखें. पहाड़ों के मौसम मासूका के मूड की तरह बदलते रहते हैं.

Boating Point
Boating Point in Naini Lakh

गेस्ट हाउस से नीचे भी बोटिंग पॉइंट थी तो नीचे आते ही बोटिंग वाले पूछने लगे. बच्चे फिर से उछल-कूद मचाने लगे पर हम सबसे पहले माता रानी के दरबार में हाजरी देना चाहते थे. झील के किनारे-किनारे माल रोड के निचले रोड से हम नयना देवी मन्दिर की ओर बढ़ रहे थे. माल रोड मल्लीताल और तल्लीताल को जोड़ती है. आपको ये नाम अजीब लग रहे हों, पर यही नैनीताल की जान है. बस स्टैंड वाला दक्षिणी एरिये को तल्लीताल कहते हैं, तल्ली मतलब नीचे, तो तल्लीताल मतलब नीचे का ताल. उत्तरी किनारे को मल्लीताल, मल्ली मतलब ऊँचा, कहते हैं. नैनी झील की चारों ओर सुंदर वृक्षों से आक्षादित सड़क बनी है, जिसपर वाक करने का आनन्द ही अलग होगा. माल रोड की दुकाने अभी खुल ही रहे थे तो ज्यादा भीडभाड नहीं थी.

माल रोड पर तेजी से आते-जाते रिक्शे मनमोहक लग रहे थे. किसी रिक्शे पर गौरांग सवार दिखते तो किसी पर नव विवाहित जोड़े भडकदार कपड़ों में, जो हनीमून मनाने नैनीताल आए हुए हैं. सूट-बूट पहने लोग रिक्शे पर मजेदार लग रहे थे. आपको बता दूँ, नैनीताल में कोई ओटों, ई-रिक्शा नहीं चलता. मालरोड और आसपास जाने-आने के लिए रिक्शा ही दूसरा साधन हैं और पहला साधन चरणसिंह की 11 नंबर की गाड़ी. नहीं समझे, अरे आपके खुद के चरण, पैर. हा… हा… हा.

Tibet Market
Tibet Market in Morning…

बोट हाउस क्लब होते हम पंत पार्क चौराहे पहुंचे, वहाँ लगे बोर्ड को देखकर पता चला कि तिब्बत मार्केट, गुरुद्वारा, नयना देवी मन्दिर, जामा मस्जिद और उड़न खटोला (रोपवे) सब मल्लीताल में ही हैं. चौराहे से मन्दिर की ओर मुड चले, पंत पार्क चौराहे पर एक बोटिंग पॉइंट थी तो बोट वाले बोटिंग के लिए पूछते रहे. बच्चे तो पुरे रास्ते झील में बोट देखकर बेकाबू थे. रास्ते में सुंदर गुरुद्वारे में सीस नवाया और तिब्बत मार्केट होते हुए सीधे मन्दिर.

Naina Devi Mandir
Naina Devi Temple, Nainital

हम गेट के बाहर खड़े थे, मन्दिर के गेट पर श्री माँ नयना देवी मन्दिर लिखा था. बाहर प्रसाद की दुकानों से माताश्री और श्रीमतिजी ने प्रसाद ले लिया. सीढियों से नीचे उतरकर मन्दिर प्रांगन में आकर माँ नयना के दर्शन किये. मन्दिर परिसर ज्यादा बड़ा नहीं और मुख्य मन्दिर भी छोटा ही है. मन्दिर परिसर से दिल को मंत्रमुग्ध करने वाले दृश्यों ने हमें वहाँ काफी समय तक बांधे रखा. बच्चों को मस्ती करने के लिए नैनीझील की बड़ी-बड़ी मछलियाँ मिल गई. दोनों बच्चे माता को चढ़ाये प्रसाद कि मुढ़ी (मुरमुरे/लईया) को ऊपर से नीचे पानी में डालते तो सैकड़ों बड़ी-बड़ी मछलियाँ उसे खाने उमड़ पड़ती. बच्चे काफी देर इसी में लगे रहे, प्रसाद खत्म होता देख मम्मी और दादी ने झिड़की दी तो दोनों आसपास गिरे प्रसाद के दानों को उठाकर मछलियों को चारा डालने लगे. उनके डाले दानें को खाने की होड में मछलियाँ एक जगह जमा हो जाती और दोनों कुमार खूब खुश होते. नैनी झील की मादकता और विस्तार को यहाँ से महसूस कर रहा था. एक घंटा मन्दिर में बिताने के बाद हम फिर से माता एक बार नमन कर  बाहर आ गए.

Main Mandir
Naina Devi Temple, Nainital
Naina Devi Temple
Naina Devi Temple, Nainital
Shivala
Shivalaya At Naina Devi Temple
Shivling
Shivaling at Naina Devi Temple

नयना देवी मन्दिर के बारे में

पुराणों में, नैनीताल मतलब नैनीझील को मानसरोवर की भांति पवित्र और मुक्तिदाता माना गया है. इसी झील के किनारे स्थित मां नयना देवी मंदिर को 51 शक्तिपीठों में माना जाता है, मान्यताओं और पुराणों के अनुसार, दक्ष पुत्री सती की बांयी आँख नैनीझील के स्थान पर गिरी, जिससे नैनीताल यानि नैनीझील का उदगम हुआ. पुराणों में वर्णित है कि अत्रि पुलस्त्य और पुलह ऋषियों ने यहाँ तपस्या की. उन्नीसवीं शताब्दी में नैनीताल की खोज होने पर श्री मोतीराम साह ने माँ नयना देवी का मन्दिर वर्तमान बोट हाउस क्लब और कैपिटोल सिनेमा हाल के बीच बनवाया था. दुर्भाग्यवश सन 1880 में नैनीताल में आए भयंकर भूस्खलन ने मंदिर को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया. जैसी जानकारी मिली मां नयना देवी ने नगर के प्रमुख व्यवसायी और मन्दिर के स्थापक श्री मोतीराम साह के पुत्र और धार्मिक प्रवृति के श्री अमरनाथ साह को स्वप्न में उस स्थान का पता बताया जहां उनकी मूर्ति दबी पड़ी थी. श्री अमरनाथ साह ने अपने मित्रों और रिश्तेदारों की मदद से काफी मेहनत और परेशानी के बाद देवी की मूर्ति को खुदाई कर निकलवाया और और नए सिरे से मंदिर का निर्माण कार्य भी किया. मंदिर का आज का स्वरुप सन 1883 में बनकर तैयार हुआ और विधिवत पूजा-अर्चना के साथ माँ को स्थापित किया गया.

Temple view
Naina Devi Temple

श्री अमरनाथ साह के निधन के बाद उनके पुत्र के ज्येष्ठ पुत्र श्री कैप्टन रणवीरनाथ साह और उनके प्रपोत्र श्री राजेन्द्रनाथ साह मन्दिर की सेवा करते रहे.  लगभग सौ साल तक मन्दिर की सेवा करने के बाद 21 जुलाई, 1984 को श्री माँ नयना देवी मन्दिर अमर उदय ट्रस्ट का गठन और पंजीकरण कर श्री राजेन्द्रनाथ साह ने मन्दिर की व्यवस्था ट्रस्ट को सौप दी.

Naini Lake
Beautiful View of Naini Lake During Morning.

यहाँ दिनभर देशी-विदेशी सैलानी और भक्तों का तांता लगा रहता है. नयना देवी मंदिर में माँ के नयनों की पिंडी रूप में पूजा की जाती है. मंदिर से नैनी झील और नैनीताल का मन को आह्लादित करने वाला प्राकतिक नजारों का आनंद उठाया जा सकता है.

Nandi
Nandi at Shivalaya

मंदिर सुबह 6:00 बजे से रात्री 10:00 बजे तक दर्शन और पूजा – अर्चना के लिए खुला रहता है.

Ropeway Nainital
Way to Ropeway, Nainital

एक घंटे मन्दिर में बिताने के बाद हम बाहर आ गए और चौराहे से छोटे से रास्ते से रोपवे की ओर चल पड़े. वहाँ काउंटर पर बताया गया कि अभी टिकेट लेंगे तो दो घंटे बाद का नंबर आएगा. रोपवे के लिए इतनी देर वेट? हमने कौन सा पहली बार रोपवे देखना था तो आज चिड़ियाघर ही देख लेने की सोच चल पड़े. पंत पार्क चौराहे पर आकार रिक्शा वाले को पूछा तो पता चला पहले काउंटर से पर्ची कटवानी पड़ेगी तो ही रिक्शा मिलेगा. रिक्शे का काउंटर पहली ही बार सुन रहा था, तो आश्चर्यचकित तो होना ही था. पास ही काउंटर दिखा, 20 रुपये की पर्ची एक रिक्शे की मल्लीताल रिक्शा स्टैंड से तल्लीताल रिक्शा स्टैंड दो लोगों के लिए. बच्चों को चाहे तो पीछे लटका दें या खुद ही गोद में टांग लें. हमने दो रिक्शे लिए, बच्चे रिक्शे पर चढते ऐसे खुश हो रहे थे जैसे या तो रिक्शा ही पहली बार देखा हो या रिक्शे की जगह फाइटर प्लेन में चढ रहे हों. माल रोड पर रिक्शे की सवारी का भी अपना अलग ही आनन्द आ रहा था, ऐसा आनन्द तो आजतक किसी गाड़ी में बैठकर न आया होगा. यहाँ रिक्शे काफी तेजी से और बिना उठा-पटक के चलते हैं जो मन को आनन्दित कर देते हैं.

rickshaw at mall road
Rickshaw at Mall Road

हम अपने कैलाश पर्वत को रास्ते में पार करते चिड़ियाघर जाने वाले रास्ते के पास पहुँच गए जो माल रोड पर ही है. यहाँ भी चढाई कैलाश पर्वत जैसा ही था, पता चला चिड़ियाघर ऊपर काफी दूर है. बिना शटल सेवा के जाना मुश्किल है. बाकी गाड़ियों को ऊपर जाने नहीं दे रहे थे. वहाँ गाड़ियों के इंतजार में भीड़ लगी थी. एक लड़के ने आकार पूछा चिड़ियाघर जाना है ? हमारे हाँ करने पर एक पेड़ के नीचे इशारा कर बताया वहाँ से शटल की टिकट लेकर आइये और मुझ से नंबर ले लीजिए. प्रति व्यक्ति आना-जाना 60 रूपये के हिसाब से 240 रूपये देकर चार शटल टिकट लेकर लड़के को टिकट दिखाया, उसने उसपर कुछ नंबर लिखा. एक बोलेरो ऊपर से नीचे आकर रुकी तो मालूम हुआ यही शटल सेवा की गाड़ी है. पहले से लगी भीड़ उसपर टूट पड़ी, तो मुझे अंदाजा लग गया हमें काफी देर इंतजार करना पड़ेगा. वैसे गाड़ी में नंबर के हिसाब से ही बिठा रहे थे, पर कभी सीट कम और आदमी ज्यादा और कभी लड़के ने बताया आज सन्डे है इस वजह से ज्यादा भीड़ है, अब हमने तो टिकट ले लिया था तो सिवा इंतजार करने के कोई रास्ता न था.

हमें कितनी देर इंतजार करना पड़ा? हम चिड़ियाघर देख भी पाए या नहीं?

आपको बताएँगे अगले भाग में ….

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7 thoughts on “माँ नयना देवी (मन्दिर ) दर्शन – Naina Devi Temple”

  1. नैनीताल यात्रा ताजा हो गई। वैसे नैनीताल जगह ही ऐसी है कि एक बार जाओ सारी उम्र नहीं भूल सकते।

    1. अवनीश कौशिक जी,
      आभार मेरी यात्रा में मानसिक रूप से साथ चलने के लिए. बिलकुल सत्य कथन – जो एक बार जाए ताउम्र भूल नहीं सकता. आगे की यात्रा में भी बने रहेंगे उम्मीद है.

      1. बहुत अच्छी जानकारी दी आपने। पुरानी यादें ताजा करा दी। जब मैं पिछले साल बस से नीम करौली बाबा और नैनीताल गया था।

        1. आभार ब्लॉग तक आने और पढ़ने के लिए. हर यात्रा बीतने के साथ हमारे दिलोदिमाग पर यादों की एक शिलालेख छोड जाती है. यही यादें हमें अपने अतीत में झांककर मुस्कुराने का मौका देती है.

  2. आनंद आता है आपके ब्लॉग को पढ़ने में. कृप्या ऐसे ही नई – नई जगह घूमते रहें और हमें भी मानसिक रूप से घुमाते रहें.

    1. राज ठाकुर जी,
      धन्यवाद, आपके शुभकामनाओं के लिए. आपको यात्रा वृतांत पढकर अच्छा लगता है ये मेरी खुशकिश्मती है.

      किसी भी लेखक या ब्लॉगर के लिए यह गर्व वाली बात है.

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