मेरी मेघालय यात्रा पूर्ण होने के बाद कई मित्रों ने आग्रह किया कि नार्थ इस्ट महंगा है, इसलिए मेघालय यात्रा के खर्च के बारे में भी प्रकाश डालूँ. हर किसी का यही सवाल होता है – How to do Meghalaya Trip in Budget ? मेरी आसाम और मेघालय यात्रा को मेरी पूर्वोत्तर यात्रा: मेरे सपनों का प्रदेश मेघालय पर पढ़ सकते हैं. चलिए आपको बताता हूँ मेघालय यात्रा के खर्च के बारे में.
जैसा कि आप सबको मालूम ही होगा, पूरे पूर्वोत्तर (North East) में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बड़ी दिक्कत है और होटल भी कुछ सस्ते नहीं. तो पूर्वोत्तर यानी North East घूमना सस्ता तो नहीं. पर जुगाड़ कर बिगड़ते बजट को थोड़ा सम्भाला जा सकता है. इनमें से कुछ नुस्खे तो हमने इस ट्रिप में इस्तेमाल किए और कुछ का ज्ञान ज्यादा खर्च होने के बाद हुआ.
अब ये जुगाड़ है क्या?
होटल ऑनलाइन बुक कीजिए दो-चार महीने पहले. हमारे यात्रा में शिलांग से जुड़े सहयात्री, जिनसे हमलोग बस में मिले थे, मिस्टर मिसेज अग्रवाल ने एयर टिकट और होटल चार महीने पहले बुक किए थे और बिल्कुल stealing deal पे. 700 रुपये की होटल, बिल्कुल मस्त दिल खुश करने वाला, साथ में सुबह – सुबह चाय और स्नैक्स फ्री. वही होटल अक्तूबर में 4000 के दिख रहे थे. मतलब प्री बुकिंग कर आप होटल और एयर टिकट पर खर्च कम कर सकते हैं. और हाँ, होटल बुकिंग के लिए GoiBiBo, Trivago जैसे एप्प का उपयोग कीजिए. यहाँ सस्ते डील मिल जाते हैं.
बजट ट्रिप के लिए कब जाएँ?
सबसे पहले तो ये जान और मान लीजिए कि अगस्त और सितंबर मेघालय के लिए ऑफ सीजन है. मंदी छाई रहती है चहुंओर. आप होटल से लेकर गाड़ी और शॉपिंग से लेकर टूर पैकेज हर जगह मोलभाव कर सकते हैं और सारी चीजें सस्ती ही मिल जायेगी. होटल खाली पड़े रहते हैं और भीड़भाड़ भी कम मिलती है और इन सबमें अपना फायदा ये कि होटल आपकी जेब नहीं काटती. अब मेरी पोस्ट ने आपके घुमक्कड़ी के कीड़े को जगा दिया है और आप भी मेघालय ट्रिप पर जाने की सोच रहें हैं तो या जब होटल सस्ते दिखे तब प्लान बनायें. और अगर इतना लम्बा समय काट नहीं सकते तो फिर जेब कटवाने के लिए तैयार रहिए. जो होटल अभी 800 – 1000 रुपए की रेंज में दिख रहें हैं, वही अक्टुबर से 2000 – 5000 रुपए की रेंज में मिलेंगे. अब आप सोचिये.
ये टोटका भी आजमाएं…
होटल बुकिंग के लिए मार्केट से थोड़ा हटके विकल्प तलाशिये, एक – दो किलोमीटर के दायरे में, जहाँ जाने के लिए लोकल टैक्सी या सिटी बस का विकल्प हो. हम पुलिस बाजार से तीन किलोमीटर दूर ठहरे थे, एक किलोमीटर वाक और बाकी दूरी शेयर टैक्सी में मात्र 10-10 रुपये में नाप डालते थे. यही नुस्खा मिस्टर और मिसेज अग्रवाल जी ने भी आजमाया हुआ था, उनके रूट में बस सेवा थी. वो 10-10 रुपये में आराम से सिटी बस से पुलिस बाजार पहुंच जाते थे. आखिर वो भी थे बड़े तगड़े जुगाडु ट्रेवलर .
बजट में घूमने – फिरने के लिए क्या करें ?
शिलांग में स्टेट टूरिज़्म का एक बिल्कुल छोटा सा दफ्तर है पुलिस बाजार में, बस स्टैंड के ठीक सामने. पहुँचने वाले दिन होटल में चेक इन कर फ्रेश होकर, सबसे पहले यही का टूर कर लीजिए. पता लगा लीजिए कल-परसों कौन-कौन सा ट्रिप फाइनल है या जाने की संभावना है. यहाँ से आप टुरिस्ट बस में कई अनजान लोगों के साथ, जिसमें एक गाइड भी होगी या होगा, शिलांग साइटसीन, चेरापूंजी, डाऊकी, मौसिनराम आदि मुख्य टुरिस्ट प्लेस देख और घूम सकते हैं. चेरापूंजी मात्र 350 रुपए और डाऊकी मात्र 500 रुपए प्रति व्यक्ति.
सच मानिए, मेघालय में टूरिस्ट बस में घूमने का अलग ही आनंद आया. जब बारिस की वजह से कोई बाहर नहीं निकल रहा था तो हम चार लोग जो घनघोर बारिस में वॉटर फाल देखकर आए, बाकी लोगों को उकसाया, धक्का लगाया और फिर पूरी की पूरी बस खाली हो गई. हम चार उल्लू बस में बैठे ठहाके लगाते रहे. जब बाकी लोग वापस आकर हमें धन्यवाद दे रहे थे, आभार जता रहे थे, इतनी सुन्दर जगह को देखने की ज़िद करने और लगभग जबरदस्ती भेजने के लिए, तो सच में बड़ा अच्छा लगा. एक बंगाली महिला ने तो आकर कहा “ना देखले पागोल हुई जावे” तो पूरे बस में ठहाके की गूँज कुछ देर तक सुनाई देती रही. ये आनंद, हँसी – ठिठोली आप कार हायर कर घूमते हुए नहीं कर सकते. कार में आप और सिर्फ आप रहेंगे और वो तो हम अपने घर में वैसे भी 365 दिन रहते हैं.
जुगाड़ और भी हैं …
अब अगर आपको अपने पसंद वाली जगह टुरिस्ट बस की ट्रिप न भी मिले तो अपने होटल में, पुलिस बाजार में स्टैंड पर सुबह-सुबह सहयात्री मिल जाएंगे. कई बार टैक्सी वाले भी शेयर सवारी को बुलाते मिले. आप किसी एक दो लोगों के साथ टैक्सी शेयर कर लीजिए, जिस कीमत में बस में जाएंगे, उसी कीमत में डिजायर जैसी कार मिल जाएगी. ऑल्टो तो और भी सस्ता मिल जाएगी. पर इसके लिए आपकी 7 बजे से 7:30 बजे स्टैंड पहुंचना होगा, उसके बाद आपको अपना जुगाड़ खुद करना होगा. यहाँ शेयर टैक्सी का विकल्प लगभग न के बराबर है.
ग्रुप में जाएँ
पूर्वोत्तर के सिक्किम और मेघालय घुमने के बाद यही समझ आया कि इधर घुमने के लिय समूह यानी ग्रुप में घूमना बेहतरीन विकल्प है. अगर परिवार के तीन चार लोग हैं या इतने ही लोगों की ग्रुप बनाकर जा रहे हैं तो बिंदास कार हायर करिए और घूमते रहिए, खर्च डिवाइड हो जाएंगे. सोलो या बैकपैकर जो बजट में घूमना चाहते हैं, उनके लिए थोड़ा मुश्किल जरुर है. पर वो भी अगर मेघालय टूरिज्म की बस ना मिले तो ऊपर बताएं जुगाड़ से अन्य यात्रियों के साथ गाड़ी शेयर कर अपने बजट को संभाल सकते हैं. हमने कई होटलों में ताक – झाँक की, डोमेट्री की सुविधा मिली नहीं कहीं. पर सुना है कुछ अड्डे हैं बैगपैकरों के लिए भी, पर वो भी बिल्कुल सस्ते तो नहीं.
North East में शाकाहारी खाना मिलता ही नहीं
आपने भी सुना ही होगा ऐसा कुछ North East यानी पूर्वोत्तर के बारे में. मैंने जब अपना ट्रिप फ़ाइनल किया और वहाँ खाने-पीने के लिए लोगों की राय ले रहा था तो सबने यही कहा कि जा तो शाकाहारी रहे हो, पर वापस मांस खाकर ही आना होगा और कोई विकल्प नहीं. सिर्फ एक मित्र जो परिवार के साथ दो-तीन महीने पहले ही चक्कर लगाकर आये थे. उन्होंने दिलासा दिलाया और कहा मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई, आप आराम से जाएँ.
खैर, इस संशय में घर से कुछ खाने-पीने का थोडा बैकअप लेकर निकला. गुवाहाटी में दिक्कत की कोई बात ही नहीं थी, ना हुई. मेघालय में भी भरपूर शाकाहारी खाना मिलता रहा और वो भी स्वादिस्ट. सुबह-सुबह पुलिस बाजार के मार्किट तो बंद होते हैं, और वहाँ सज जाती है छोले-भटूरे, पूरी-सब्जी, फ्राइड राईस, रोटी-सब्जी के फ़ूड स्टॉल. जिसे देखकर तो ऐसा आभास होता जैसे हम दिल्ली पहुँच गए. मतलब सुबह बिना नाश्ते के होटल से निकल लीजिये और पुलिस बाजार में आपको नाश्ते के साथ चाय-काफी, पकोड़े सबकुछ मिल जायेगा.
इसी तरह शाम बीतते ही फिर से फ़ूड स्टॉल सजने लगते हैं, जिसमें मांस की ना जाने कितने व्यंजन दिख जाएंगे. स्ट्रीट फूड और खाना-पीना भी सीजन और ऑफ सीजन के हिसाब से सस्ता और मंहगा होता रहता है.
हमने इस ट्रिप में खाना गेस्ट हाउस में ही खाया, जहाँ हम रुके थे. वहाँ साफ-सफाई के साथ गर्मागरम खाना तो मिला, पर थोडा महंगा था. जिससे हमारा बजट थोडा बिगड़ा. इसकी जगह अगर हम एक दो दिन भी स्ट्रीट फ़ूड का आनंद लेते, तो पॉकेट पर भी ज्यादा भार न पड़ता और हम शायद लोकल स्वाद को भी इंजॉय कर पाते.
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I liked the way u explained the whole thing in such a simple manner.
Aashich G,
Thanks for your appreciation. People enjoy while reading, is my concern always.
But sometimes fail to do so & sometimes it’s happened.
बहुत़ ही बेहतरीन जानकारी के साथ शानदार लेखन प्रस्तुति