चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफिर का नसीब, सोचते रहते हैं किस राह गुज़र के हम हैं. लिखना मेरे पुरानी बीमारी थी, जो परिस्तिथियों की बलि चढ़ धीरे-धीरे कम होती गई. जिसपर पिताश्री के स्वर्गवासी होने के बाद पूर्णविराम लग गया. मैंने 2008 के बाद शायद ही कुछ ढंग का लिखा हो. दुसरी असाध्य रोग […]