सिक्किम: मन मोहते बर्फीले पर्वत
सिक्किम भारत के सुन्दरतम जगहों में से एक माना जाता है ।अगर आप अपने जीवनकाल में यहाँ नहीं गए तो आपने कुछ खोया है, इसलिए पृथ्वी से पलायन के पहले एक बार सिक्किम जरूर हो आएं । देश के पूर्वोत्तर भाग में स्थित सिक्किम दक्षिण में पश्चिम बंगाल से घिरा हुआ है और इसके दक्षिण पूर्व में भूटान के साथ, पश्चिम में नेपाल और उत्तर–पूर्वी में तिब्बत स्थित है। सुंदर पहाड़ों, बर्फ से ढकीं कंचनजंघा की चोटियाँ, गहरे घाटियों, झीलों, गलेसियर से निकले झरनों, तीस्ता नदी में सफ़ेद वाटर राफ्टिंग और वहाँ की जैव विविधता की लुभावनी श्रृंखला पर्यटकों के लिए सिक्किम को एक पसंदीदा पर्यटन स्थल बनाती हैं। सिक्किम को फलोद्यानों का स्वर्ग भी कहते हैं | सिक्किमभारत का पहला राज्य है जहाँ की कृषि पूर्णतः जैविक आधारित है और यहाँ रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग वर्जित है | कंचनजंगा जो कि दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है, यह सिक्किम के उत्तरी पश्चिमी भाग में नेपाल की सीमा पर है और इस पर्वत चोटी को प्रदेश के कई भागों से आसानी से देखा जा सकता है | यहांका राजकीय फूल ऑर्चिड है और राजकीय पशु लाल पंडा है | गंगटोक पूर्वी जिला है और ये सबसे बड़ा शहर भी है और इसे राजधानी होने का गौरव भी प्राप्त है | गंगटोककी समुद्रतल से ऊंचाई 1650 मीटर यानि 5415 फीट है | अगर आप सिक्किम को जानना, समझना और यहाँ की हसीन वादियों में खो जाने के लिये निकलने वाले हैं तो सिक्किम के विभिन्न भागों की पहले से जानकारी इसे आसान बना देगी |
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Rafting in Sikkim |
सिक्किमचार जिले में बंटा प्रदेश हैं |
सिक्किम के चार जिले –
•पूर्व सिक्किम – गंगटोक जिसे सिक्किम की राजधानी होने का गौरव भी प्राप्त है |
•उत्तरी सिक्किम – मंगन
•दक्षिण सिक्किम – नामची
•पश्चिम सिक्किम – गेजिंग
सिक्किम शिवालिक की पहाड़ियों पर 5500 फीटकी ऊंचाई पर स्थित है। कंचनजंगा, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पर्वत है, को गंगटोक से देखा जा सकता है। सिक्किम का कुल क्षेत्र लगभग 7000 वर्गकिलोमीटर है । यहाँ की आबादी करीबन 6 लाख है और इस राज्य को भारत की सबसे कम आबादी वाले राज्य, गोवा के बाद सबसे छोटा राज्य भी माना जाता है।सिक्किम में बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं और यहाँकीभाषानेपाली है | सुदूरउत्तर पूर्व का सिक्किम राज्य अपने सौंदर्य के लिये ही नहीं, स्वच्छता के संस्कार और नागरिकों की जागरुकता में भी आकर्षित करता है। तीस्ता नदी सिक्किम की जीवन रेखा हैं और राज्य का एक तिहाई हिस्सा घने जंगलों से घिरा हुआ है | सिक्किम की शोभा अट्ठाइस पर्वत श्रृंखलाएं और स्वर्ग सी खूबसूरत झीलें बढाती हैं, जिनमें छांगू झील, गुरुडोंग्मार झील और खेचियोपल्री झीलें शामिल हैं | सिक्किम में नेचुरल स्पॉ यानि गरम पानी के अनेक चश्में भी हैं जो अपनी रोगनाशक क्षमता के कारण प्रसिद्ध हैं। सबसे महत्वपूर्ण गरम पानी के चश्में फुरचाचु, युमथांग, बोराँग, रालांग, तरमचु और युमी सामडोंग हैं। इन सभी चश्मों में काफी मात्रा में सल्फर पाया जाना है और ये नदी के किनारे स्थित हैं। इन गरम पानी के चश्मों का औसत तापमान 50° डिग्री सेल्सियस तक होता है। आठ पहाड़ी दर्रे सिक्किम को तिब्बत, भूटान और नेपाल से जोड़ते हैं ।
सिक्किम के प्रमुख शहर हैं –
•जोरेथांग
•सिंगताम
•रंगपो
•अपर टैडोंग
प्रमुख झीलें
•गुरुदोङ्गमार
•खेचिपेरी
•मेन्मेछो झील
•छोलामो
•छङ्मो
ग्लैशियर
• लोनाक ग्लैशियर
• राथोङ्ग ग्लैशियर
• जेमू हिमनद
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नाथुला के पास बाबा मन्दिर से अदभुत दृश्य के दर्शन |
सिक्किम की वादियों का हुस्न अलौकिक और दिव्य है, जिसकी वजह से हर वर्ष लगभग 14 लाख से भी ज्यादा सैलानी और घुमक्कड़ खीचें चले आते हैं | सिक्किम का अपना पाकयोंग हवाई अड्डे से व्यावसायिक हवाई सेवा शुरू होने से यहाँ के पर्यटन में जोड़दार उछाल आने वाला है | वैसे ये भी बताता चलूँ कि गंगटोक में ट्रफिक नियम बहुत ही सख्त हैं और उनपर अमल भी उतनी ही कड़ाई से की जाती है | गंगटोकके ट्रफिक नियम के सामने दिल्ली, मुम्बई और चेन्नई जैसे हमारे महानगर के ट्रफिक नियम धुल चाटते नजर आ रहे थे | यहां पॉलीथिन बैग पूरी तरह प्रतिबंधित हैं। बाज़ार के दुकानों में प्लास्टिक की थैलियों की जगह कागज के लिफाफे का प्रयोग होता दिख रहा था । सिक्किम के नागरिक अपने शहर, अपने राज्य की साफ–सफाई को लेकर अत्यंत ही जागरूक है | यात्रा के दौरान ड्राईवर से बात करके ही मालूम हुआ कि पब्लिक प्लेस पर हॉर्न बजाना और सिगरेट पीना सख्त मना है । पर हमारे बिहार की तरह यहाँ शराब प्रतिबंधित नहीं है, आप कहीं भी कभी भी शराब का लुफ्त उठा सकते हैं | फिरतो सिक्किम खासकर बिहार के सूखाग्रस्त शराबियों के लिये जन्नत है | ये जानकारी आपके लिये काम की हो सकती है, पर मेरे किसी काम की नहीं | शराबसे अपना दुर–दुर तक कोई रिश्ता–नाता नहीं | इसलिये मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कहाँ सुखा सुखा पड़ा है और कहाँ बाढ़ आ रही है |
सिक्किम कैसे पहुँचे
सिक्किम, एक पहाड़ी इलाके के बावजूद, कोलकाता, दिल्ली और गुवाहाटी के अतिरिक्त अच्छी तरह से देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा हुआ है।
हवाईजहाज द्वारा
सिक्किम में एक भी व्यावसायिक हवाई अड्डा नहीं था, पर इसी वर्ष सितम्बर माह में पाकयोंग में सिक्किम का एक मात्र हवाई अड्डे ग्रीनफील्ड से हवाई सेवा शुरू होने वाली है । सिक्किम का यह पहला ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा 400 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह साल 2017 में बना था जिसके बाद अब यहां ट्रायल का काम भी खत्म हो चुका है। बताया जा रहा है कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में यहां विमानों का व्यवसायिक संचालन भी शुरू हो जाएगा। ये गंगटोक से लगभग 30 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है | अभी यहाँ से सिर्फ गुवाहाटी और कोलकत्ता की हवाई सेवा शुरू की जा रही है, लेकिन जल्द ही यहाँ से नेपाल, भूटान और थाईलैंड की हवाई सेवा भी शुरू हो जाएगी | इसके पहले निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा हवाई अड्डा (आईएक्सबी) पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी था, जो राज्य की राजधानी गंगटोक से लगभग 125 किमी की दूरी पर है। बागडोगरा हवाई अड्डे से दिल्ली और कोलकाता जैसे महानगरों के लिये नियमित हवाई सेवा उपलब्ध है ।
बागडोगरा से गंगटोक हेलीकॉप्टर सेवा द्वारा
सिक्किम पर्यटन विभाग द्वारा बागडोरा से गंगटोक तक छोटी हेलीकॉप्टर सेवा भी संचालित होती है, जिससे कि वहां तेजी से पहुंचा जा सकता है । अगर हेलीकाप्टर द्वारा गंगटोक जाना चाहें तो सिक्किम पर्यटन विभाग द्वारा बागडोगरा से गंगटोक तक पांच सीटों वाले हेलीकाप्टर सेवा का लुत्फ़ उठा सकते हैं जोमात्र 35 मिनटमें गंगटोक पंहुचा देता है | टिकट बागडोगरा हवाई अड्डे पर या ऑनलाइन उपलब्ध हैं | पर सिक्किम के अपने हवाई अड्डा शुरू हो जाने के बाद ये सेवा जारी रहेगी या नहीं ये अभी कहा नहीं जा सकता | ज्यदा सम्भावना है कि ये सेवा बन्द कर दी जाए |
सड़क मार्ग द्वारा
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग, कालीम्पोंग,सिलीगुड़ी और न्यू जलपाईगुड़ी सीधे राज्य के गंगटोक और अन्य शहरों से जुड़े हैं। लेकिन मानसून के दौरान, भूस्खलन और हिमस्खलन मार्ग में अस्थायी समस्या उत्पन्न करते रहते हैं। दार्जलिंग से गंगटोक जाने के दो मुख्य सड़क मार्ग हैं पहला है वाया राजमार्ग संख्या 10 से, जिससे दुरी लगभग 98 – 99 किलोमीटर है और दुसरा सड़क मार्ग है नामची – नामतांग जिससे दुरी 125 किलोमीटर है | सिलीगुड़ी में 114 किमीदूर और दूसरा न्यू जलपाईगुड़ी, राजधानी गंगटोक से लगभग 125 किलोमीटर की दुरी है | सड़क की बढ़िया है और कहीं कोई दिक्कत वाली बात नहीं |
रेल द्वारा
सिक्किम में कोई रेल नेटवर्क नहीं है, दो रेलवे स्टेशन राज्य को देश के अन्य भागों से जोड़ते हैं | निकटतम रेलवे स्टेशन सिलीगुड़ी में 114 किमीदूर और दूसरा न्यू जलपाईगुड़ी, राजधानी गंगटोक से लगभग 125 किलोमीटर दूर है | ज्यादातर ट्रेनें न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन ही आती हैं, सिलीगुड़ी एक्का-दुक्का ट्रेन ही जाती हैं | इन दोनों जगहों से सड़क मार्ग द्वारा गंगटोक लगभग चार घंटे में पहुँचा जा सकता है। न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन कोलकाता और दिल्ली सहित भारत के प्रमुख शहरों के साथ जुड़ा हुआ है। गंगटोक तक का सफर बड़े आसानी से उपलब्ध टैक्सियों या स्थानीय बसों की सहायता से पुरा किया जा सकता हैं । टैक्सी शेयर भी आसानी से सिलीगुड़ी से मिल जाते हैं, न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन स्टैंड से शेयर टैक्सी मिलने में थोड़ी पड़ेशानी होती है | अगर आप टैक्सी हायर नहीं कर रहें हैं और शेयर में कम खर्च में जाना चाहते हैं तो न्यू जलपाईगुड़ी स्टैंड पर दलालों के चक्कर में न फसें और स्टैंड से बाहर सड़क पर आकर ऑटो लेकर सिलीगुड़ी स्टैंड चले जाएं, वहाँ से शेयर टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं |
कहाँ रुकें
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गंगटोक का प्रसिद्ध माल रोड़ |
गंगटोक में हर बजट के होटल उपलब्ध हैं, पर खास कर गर्मियों की छुट्टियों और पीक सीजन में पूर्व से ही प्लान कर होटल की बुकिंग कर ले वरना सैलानियों के मेले में कभी – कभी होटल मिलना मुश्किल हो जाता है और परिणाम वही होता है जो हमारे साथ हुआ | अब क्या हुआ जानने के लिए मेरे दार्जलिंग और गंगटोक के यात्रा वृतान्त को पढ़ लें, पुरी जानकरी मिल जाएगी | गंगटोक में ठहरने के लिए ज्यादातर होटल महात्मा गाँधी मार्ग और राजमार्ग संख्या 31A के आसपास ही हैं | लेकिन सबसे ज्यादा पसन्द किया जाने वाला जगह है महात्मा गाँधी मार्ग, जो माल रोड़ और उसके आसपास के एरिया में है | यहाँ रूककर आप माल रोड़ पर खरीददारी के साथ माल रोड़ की रौनक का आनन्द रात्रि में चहलक़दमी करते हुए साथी के हाथ में हाथ डाल ले सकते हैं | बिल्कुल ही साफ-सुथरा माल रोड़ सैलानियों के मेले के बावजूद भी अपनी रौनक नहीं खोता | अनायास तो विश्वास ही नहीं होता कि हम हिंदुस्तान में किसी सैरगाह के मार्केट में घूम रहें हैं |
कब जाएं
वैसे तो सिक्किम और गंगटोक बरसात को छोडकर कभी भी घुमा जा सकता है | लेकिन सिक्किम घूमने का सबसे बेहतर समय मार्च से जून है | जून में बारिस का मौसम शुरू हो जाती है, इस समय पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि बारिस के मौसम में यहाँ आने से बचें | यहाँ गर्मियों के सीजन में घूमने का अलग ही मजा है | इस समय यहाँ का मौसम अपने शबाब पर होता हैं और फूलों की बहार आई होती है | यहाँ के ऑर्किड देश के बड़े शहरों के बाजारों की शोभा बढ़ाते हैं | गर्मियों में गंगटोक का तापमान 25 -26 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नहीं बढ़ता पर सर्दियों में ये लगभग 0 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है | सिक्किम का उत्तरी भाग हर साल चार महीने बर्फ से ढके रहते हैं और यहाँ का तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे गिर जाता है। बर्फों से ढके पहाड़ों का तापमान तो गर्मियों में भी 0 से 2 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है | गर्मियों में भी गुरुदोङ्गमार, नाथुला और बाबा हरभजन मन्दिर जाने के लिए गर्म कपड़ों की जरूरत पड़ती है | लेकिन अगर गर्म कपड़ों का बोझ ज्यादा नहीं ढोना चाहते तो आप यहाँ भी किराए पर लॉन्ग जैकेट, बूट और दस्ताने, टोपी ले सकते हैं | पर छोटे बच्चे हैं साथ हैं तो उनके लिए गर्म कपड़ों में टोपी और मफलर पैक करना न भूले |
कहाँ जायें की जानकारी अन्य पोस्ट में फिर, थोड़ी जानकारी के लिए मैप चिपका रहा हूँ :
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Map of India के सौजन्य से |
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एक एक जानकारी के साथ बहुत अच्छा लिखे हैं। देखिए मेरा जाना कब होता है। जब से चंद्रेश जी का पोस्ट पढ़ा हूं…अब आपका …. मन बेचैन है।
बाबा हरभजनसिंह जी जल्दी बुलाएं आपको |
जय हो |
रोचक लेखन के माध्यम से अच्छी जानकारी मिली जो सिक्किम भ्रमण के लिए प्रेरित करती है।
यात्रा कर अपने अनुभव और जानकारी विस्तार से साझा करना मेरे विचार से एक तरह से 'पुण्य' का ही कार्य है क्योंकि चार पंक्तियां लिखने में ही आलस घेरने लगता है। अतः लेखक को बधाई।
आपके दिल के छूने वाले शब्दों के लिए दिल से आभार | आपको सिक्किम जाने की प्रेरणा मिली ये सुनकर अच्छा लगा | मेरा मानना है मरने के पहले करने वाले काम में सिक्किम भी घूम आना शामिल है |एक दिन के लिए जाए या दस दिनों के लिए, दिल कभी भरेगा नहीं |
आपके लेखन शैली जबरदस्त है
Lovely details, your style of writing is excellent, keep writing
दिल से आभार आपका |
Aashish ji, your words are great honor for me. Thanks for like my style of writing. I trying to pass information which I collecting during the trip or before & even after sometimes. I'm a great fan of your style of travel too.
Thanks once again to come on my blog.