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जमालपुर की दुर्गा पूजा – Durga Puja in Jamalpur

नवमी एवम दशमी को हम पहुँच गए जमालपुर के दुर्गा का आनंद लेने. आइए पहले आपको जमालपुर के बारे में थोड़ी जानकारी दे दें, ताकी आपको पता चले आखिर जमालपुर में खास क्या है.

जमालपुर का परिचय

बिहार के मुंगेर जिले में जमालपुर नाम का एक छोटा-सा शहर है, जमालपुर बिहार का तीसरा सबसे अच्छा और स्वच्छ शहर है. यह मुंगेर जिले का मुंगेर के अलावा एक मात्र शहर है, जो अपने जिले मुंगेर से 8 किमी दूर स्थित है. मुंगेर का मुख्य रेलवे स्टेशन जमालपुर ही है. जमालपुर नाम का शाब्दिक अर्थ है जमाल (सुंदर) पुर (नगर) है. जमालपुर पहाड़ी की गोद में बसा एक सुन्दर शहर है, पूर्व में स्थित पहाड़ी (काली पहाड़) और पश्चिम में अनवरत बहती गंगा इसकी शोभा बढ़ाते हैं. यह शहर इसलिए भी प्रसिद्ध है कि दक्षिण-पूर्व एशिया का सबसे बड़ा रेलवे कारखाना यहाँ है. साथ ही, पहाड़ियों और जंगलों से घिरा यह क्षेत्र सदियों से योगियों और संन्यासियों की साधना का केंद्र रहा है। यह प्रभात रंजन सरकार  की जन्मभूमि है, जो आनंदमार्ग के संस्थापक और गुरु रहे. इस क्षेत्र में ठंडे और गर्म पानी के कई झरने हैं, जिसमें भीम बांध, सीताकुंड, ऋषिकुंड जैसे कई गर्म पानी के कुंड हैं.

जमालपुर रेलवे कारखाना

जमालपुर को जमालपुर रेलवे कारखाना (लोकोमोटिव वर्कशॉप) की वजह से सबसे ज्यादा जाना और पहचाना जाता है. द इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में रेल इंजीनियरों को पैदा करने वाली विश्व विख्यात शीर्ष प्रशिक्षण संस्थान ईरमी (IRIMEE) इसी शहर जमालपुर में है और यहीं से पुरे भारत को मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग मिलते रहे हैं. यही वो कारखाना है जिसने विदेशों से ख़रीदे वाले महंगे क्रेनों का स्वनिर्मित माडल बनाकर देश के करोड़ों रुपए की बचत की. यह शहर 1862 में ब्रिटिश राज के दौरान स्थापित किया गया था, रेलवे संस्थान जमालपुर शहर के संस्कृति के केंद्र में हमेशा से रहे हैं.

जमालपुर रेल कारखाना (लोकोमोटिव वर्कशॉप) भारत में पहली पूर्ण रेलवे वर्कशॉप थी, जिसकी स्थापना 8 फरवरी, 1862 को इस्टर्न रेलवे द्वारा की गई थी. जमालपुर को अंग्रेजों ने रेल कारखाने के साइट के रूप में चुनाव जमालपुर की मनोरम सुंदरता और मुंगेर में मीरकासिम के संरक्षण में फले-फुले बन्दूक के बेहतरीन कारीगरों की मौजूदगी की वजह से की. बंगाल के अंतिम नवाब मीरकासिम अंग्रेजों के डर से भागकर मुंगेर के जंगलों में आकार अपना नगर बसा लिया था, वो प्रसिद्ध किला मुंगेर में आज भी स्थित है. कारखाना शुरू में रेल इंजन (लोकोमोटिव) की मरम्मत के लिए थी. बाद में यहाँ इंजनों के उत्पादन की प्रक्रिया शुरू हुई और इसने 1899 में, पहली 7 CA “लेडी कर्जन” का उत्पादन किया. जमालपुर को भारत में रेलवे के यांत्रिकी अभियंता (Mechanical Engineer) भारतीय रेलवे मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग संस्थान (IRIMEE) से पैदा करने का गौरव प्राप्त है. जिसे फर्स्ट क्लास अप्रेंटिस भी कहा जाता है.

आनंद मार्ग

आनंद मार्गा आंदोलन की स्थापना 1955 में जमालपुर के मूल निवासी प्रभात रंजन सरकार ने की थी. अपने पिता की मृत्यु के बाद अपने परिवार का समर्थन करने के लिए सरकार को अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी और 1944 से 1950 की शुरुआत तक प्रभार रंजन सरकार ने जमालपुर रेलवे कारखाने में जो उस वक्त भारतीय रेलवे का मुख्यालय भी था, में एकाउंटेंट के रूप में काम किया. उन्होंने अपने कुछ चुनिंदा साथियों को प्राचीन तंत्र साधना की तकनीक सिखाई और धीरे-धीरे उनसे आध्यात्मिक प्रथाओं और दीक्षा लेने वालों की संख्या बढ़ने लगी तो सरकार ने 1950 में नौकरी से त्याग-पत्र दे दिया. आनंदमार्ग की विचारधारा सेल्फ रियलाइजेशन एंड सर्विस टू ऑल है. “बाबा नाम केवलम” आज इनकी पहचान बन चुकी है और आनंदमार्ग का मुख्यालय कोलकाता है.

विवादास्पद रहा आनंदमार्ग

आनंदमार्ग और इसे संस्थापक बाबा का जीवन काफी विवादित रहा. आनंदमार्ग तांत्रिक और रहस्यमयी गतिविधियों के लिए जाना जाता रहा है, पर इसकी कुछ गतिविधियों को राजनीतिक रूप से संदिग्ध माना गया. आनंदमार्ग पर एक समय सरकार ने प्रतिबंध भी लगा दिया था. पुरुलिया कांड भी शायद याद हो आपको, जिसमें हवाई मार्ग से आनदंमार्ग के आश्रम में हथियार गिराए गए थे.

जमालपुर की दुर्गा पूजा विशेष क्यों ?

जमालपुर के प्रमुख्य पंडालों में स्थापित देवी माँ के दर्शन परिवार सहित किए. मुंगेर जिले के जमालपुर में भी दुर्गा पूजा धूमधाम से तो मनाया ही जाता है, इसके साथ यहाँ के पंडालों की सजावट के साथ विसर्जन बेहतरीन होती है और पुरे बिहार में ऐसा विसर्जन कहीं देखने को नहीं मिलता. यहाँ विसर्जन पर, पंडालों से भी ज्यादा खूबसूरत ढंग से माँ के विसर्जन ट्राली को सजाया जाता है और जिले भर के सर्वश्रेष्ठ सजावट वाले पूजा कमिटी को सम्मानित जजों की टीम द्वारा विजेता घोषित होने पर पुरस्कृत किया जाता है. जमालपुर आसपास के जिले से भी लोग भी मेले का आनंद लेने उमड़ पड़ते हैं, पर इस बार बाढ़ की वजह से दूसरे जिलों से आने वाले लोगों की संख्या कुछ कम रही, ऐसा मेले में दुकानदारों का कहना था.

जमालपुर और मुंगेर के दुर्गा पूजा में आपको कई विशेष चीजों देखने को मिल जाएँगीं. पहली विशेषता यहाँ के दुर्गा पूजा की है बड़ी और छोटी दुर्गा और इसी तरह बड़ी और छोटी काली माँ भी है यहाँ. अब इसका ऐसा नामांकरण क्यों हुआ यह तो कहना मुश्किल है.

बड़ी काली माँ

Badi Kali
जमालपुर की बड़ी काली माँ
जमालपुर की बड़ी काली माँ

संयोग से सबसे पहला दर्शन हमें जमालपुर से बड़ी काली की हुई, जो बाजार में ही आर्य समाज उच्च विधालय के बगल में स्थित है. आपने शायद ही कहीं दुर्गा पूजा में काली की प्रतिमा देखी होगी, पर जमालपुर में एक नहीं कई काली की प्रतिमा भी स्थपित होती है दुर्गा पूजा में, जिसमें से इस काली माँ को बड़ी काली से नाम से जाना जाता है. बड़ी काली को यहाँ कष्टों से मुक्ति देने वाली और सारी मुरादों को पुरे करने वाली माना जाता है.

बड़ी दुर्गा महारानी

जमालपुर की बड़ी दुर्गा महारानी

जी हाँ, सही सुना आपने. बड़ी दुर्गा महारानी यही नाम है यहाँ के मुख्य मन्दिर में स्थापित होने वाली माँ दुर्गा का. बड़ी दुर्गा को बहुत ही शक्तिशाली और फलदायिनी माना जाता है और जो यहाँ से मुख्य बाजार “सदर बाजार” में ही स्थित है.

ईस्ट कॉलोनी की दुर्गा

रेलवे का ऑफिसर कॉलोनी, जिसे ईस्ट कॉलोनी के नाम से जाना जाता है. यहाँ बांग्ला विधि-विधान से धूमधाम से दुगा पूजा आ आयोजन होता है और शहर में सबसे बड़ा और खुला स्थान होने की वजह से सबसे ज्यादा भीड़-भाड़ के साथ ही चारों ओर सजे खाने-पीने के स्टाल लोगों को आकर्षित करते हैं और लोग परिवार सहित यहाँ सबसे ज्यादा समय बिताना पसंद करते हैं. सालों पहले यहाँ रावण का पुतला के दहन भी होता था जो कुछ अप्रिय घटनाओं की वजह से बंद कर दिया गया. हम जब पहुंचे तो भीड़ उमड़ी पड़ी थी, तो इसे उतने अच्छे से कवर न कर सका.

East Colony Jamalpur Durga
ईस्ट कॉलोनी की माँ दुर्गा

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