तालों का शहर नैनीताल भाग – 5
पिछले भाग में आपने पढ़ा चिड़ियाघर की एक एडवेंचरस सैर के बाद हमने माल रोड पर ही रेस्टोरेंट में लंच किया और उसके बाद “अजगर और गैंडे” की तरह पसरने के मूड में थे. पर सुबह के वादे को याद दिला बच्चे अड़ियल घोड़े की तरह अड् गए. कौन सा वादा? आगे क्या हुआ? आगे पढ़िए –
खाते-पीते दो घंटे निकल गए और चार बजने ही वाले थे. शरीर थककर चूर हो चूका था, पर बच्चे तो आखिर बच्चे ठहरे और उनकी जिद किसी अड़ियल घोड़े से कम नहीं. दोनों कुमार सड़क पर ही अंगद की तरह अड् गए, आज तो बोटिंग कन्नी ही है. उनके पैर हिल-डुल ही नहीं रहे थे. इन छोटे अंगदों को देखकर रावण की पीड़ा याद हो आई, जिसने असली अंगद को झेला था. सुबह-सुबह हमने बच्चों से वादा किया था, आज ही बोटिंग करेंगे. खैर, कोई और चारा न देख हम फिर से पंत पार्क चौराहे होते हुए तिब्बत मार्केट स्थित बोटिंग स्टैंड की ओर चल पड़े. वैसे हम अपने गेस्ट हाउस के पास भी बोटिंग कर सकते थे, पर सबसे शानदार नजारा मुझे यहीं मिल रहा था. मार्केट की भीड़-भाड, मन्दिर से आती घंटी की सुमधुर आवाज और पवित्र वातावरण के साथ ही यहाँ से नैनी झील मुझे सबसे चौड़ी और सुन्दर दिख रही थी. क्या नजारा बन रहा था, सीधे दिलो-दिमाग में उतर जाने वाला. आप खुद ही देख लो.

बोटिंग स्टैंड के पहले ही, दीवाल पर बैठने के लिए पेड़ के नीचे बने स्थान पर दस मिनट सुस्ताने को बैठे, बड़ा ही सुकून था यूँ ही बैठे रहने में भी. पर बच्चे कहाँ चैन लेने वाले थे. उधम मचाकर फिर से हमें दौड़ा दिया और हम सीधे बोटिंग साईट पर जाकर रुके. गेट के पास ही से एक नाविक/बोटिंग वाला पीछे पड़ गया, उससे बोटिंग के किराये की जानकारी ली. सबसे पहले हमने उसकी नाव देखी. हाँ, ये बताना तो भूल ही गया कि हमने यहाँ चप्पू वाली नाव ही चुनी थी. हम चिड़ियाघर की सैर की वजह से पहले ही थके हुए थे और वैसे भी पैडल वाली बोटिंग तो बच्चों ने भी कई बार की. नाव तो सजी-धजी साफ-सुथरी दिख रही थी, तो हमने फुल सर्कल बोटिंग की बात पक्की कर ली और साथ ही काउंटर तक गए. वैसे ज्यादातर बोटिंग वाले आपको ये जहमत उठाने नहीं देते, अब आप इसे उनकी तीमारदारी समझे या चालाकी ये आपके ऊपर निर्भर करता है.
नैनी ताल में तरह-तरह की बोटिंग
नैनी ताल में रंगबिरंगी नौकाएं मचलती, इतराती अपना जादू बिखेरती रहती, जिसे हम आते-जाते निहारते ही रहते थे. ये हमारे गेस्ट हाउस के बरामदे से भी तैरती-इठलाती-बलखाती दिखती रहती. नैनी ताल में इन नावों का मदमस्त होकर मचलना-इतराना, किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफी था. तो आखिर बच्चे कैसे नियंत्रित रह सकते हैं. नैनी ताल में आप कई तरह के नाव/बोट पर बोटिंग का आनन्द ले सकते हैं. पहले ये जान लीजिए यहाँ कौन-कौन सी बोट का आनन्द लिया जा सकता है :
* पैडल से चलने वाली नाव/बोट. जो सर्वसुलभ है, पर बड़ी और गहरी झील में इसे चलाना एक कठिन कार्य है.
* चप्पू वाली नाव/बोट, जिसे पतवार से मांझी चलाते हैं और आप बैठे-बैठे आनन्द ले सकते हैं.
* याट या पाल वाली नाव, एक विशेष नाव/बोट जिसमें पाल लगे होते हैं और यह हवा के बहाव से ही चलती है. याट नैनी ताल में सबसे ज्यादा आकर्षण का केन्द्र थी.


नैनीझील बोटिंग चार्ज
पैडल और चप्पू वाली दोनों नाव/बोट के लिए एक समान ही चार्ज है.
* बीस मिनट की हाफ सर्किल बोटिंग के लिए ₹ 160, जिसमें चार लोग बोटिंग का मजा ले सकते हैं.
* चालीस मिनट की फुल सर्किल बोटिंग के लिए ₹ 210, इसमें भी चार लोग बोटिंग का मजा ले सकते हैं.
* नैनीताल बोट क्लब पैडल बोट के लिए भी ₹ 500 चार्ज करता है.
याट या पाल वाली विशेष बोट का लुत्फ़ उठाना है तो उसके लिए थोड़ा कलेजा मजबूत होना चाहिए, क्योकिं जब ये बोट हवा के रुख के साथ मोड लेती है तो सवार को भी तेजी से कभी इधर और कभी उधर बैलेंस बनाने के लिए जाना-आना पड़ता है. और जरा भी लापरवाही बोट का बैलेंस बिगाड़ देती है और उलट जाती है. हमें अपने पांच दिन के प्रवास में कई बार झील में पलती हुई बोट दिखी. इसलिए मेरी तो सलाह होगी कि इसपर तभी बैठें जब आपको तैरना आता हो.

* नैनीताल बोट क्लब की याट या पाल वाली बोट विशेष है, इसके लिए आपको ₹ 500 खर्च करने पड़ेगे, अकेले या दो लोगों के लिए. इस बात का हमेशा ख्याल रखें की ये बोट सबके लिए बिल्कुल भी नहीं है.

टिकट मिलते है बच्चे खुश होकर बिना देर किये बोट में सवार हो गए. नैनी ताल में उठती लहरों के बीच बोटिंग का आनन्द ही अलग है. पानी में तैरती-मचलती मछलियां. चारों ओर पहाड़ों से घिरी नैनी, ठंडा-ठंडा पानी और उसपर आसपास इठलाती-मदमाती सैकड़ों बोट में बोटिंग करते लोग. किसी बोट में अति उत्साहित बच्चे, किसी में नवविवाहित जोड़े हाथ में हाथ डाले अपने आप में खोए, किसी में परिवार के साथ लोग, किसी में सिर्फ नवयुवतियों की टोली, किसी बोट में बृद्ध जोड़े अपने जीवन के अनमोल पलों को यादों के झोली में समेटते. मतलब एक अलग सी दुनिया ही बसी थी नैनी ताल में. ताल का प्रमुख आकर्षण वहां का मंत्र-मुग्ध कर देने वाला सफेद बतखों का झुंड भी था, जो अपनी ही मस्ती में कतार में ताल के किनारे-किनारे विहार करते रहते थे. बच्चों को लिये तो सबसे मजेदार उन बतखों को देखना ही था.

नैनीझील के बारे में
बोटिंग के साथ-साथ मांझी से कई विषयों पर बातचीत हुई. मांझी ने ही बताया कि इस ताल की गहराई 15 से 156 मीटर तक मापी गई है, हालांकि सही-सही जानकारी किसी को भी नहीं है. लंबाई 1358 मीटर और चौड़ाई 458 मीटर है. मछलियों के बारे में बच्चों के पूछने पर बताया कि ताल की मछलियों को पकड़ने और खाने पर पूर्ण प्रतिबन्ध है. तीन-चार साल में जब ढेर सारी मछलियाँ ताल में भर जाती हैं तो उसे निकालकर दवा बनाने वाली कोई कम्पनी को दे दिया जाता है. अब ये कितना सच है मालूम नहीं. पानी की जरूरतों के लिये पूरा शहर इसी ताल पर निर्भर है और पीने के लिये भी इसी ताल के पानी का इस्तेमाल होता है.
मांझी ने एक बात और कही जो मुझे सही भी लगी- नैनीताल में सिर्फ रिक्शे और बोट की ही रेट नैनी निगम ने फिक्स की हुई है बाकी हर चीजों में लूट की खुली छूट है. ताल के चारों ओर सड़क पर सैर करते लोग भी दिख रहे थे. झील में कई जगहों पर तेजी से उठते बुलबुले की ओर बच्चों ने ध्यान आकर्षित करवाया. मुझे भी कुछ अजीब सा प्रतीत हुआ तो बोटिंग वाले से अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिये पूछ ही लिया. पता चला झील में अत्यधिक मछलियाँ होने के कारण पुरे झील में कई जगहों पर बुलबुले पैदा करने वाली प्लांट को लगाया गया है जिससे पानी में आक्सीजन की पर्याप्त मात्र मछलियों को उपलब्ध होती रहे.

Gently down the stream
Merrily merrily, merrily, merrily
Life is but a dream
बोट से नैनीताल अलग ही रूप-रंग में दिख रही थी, झील के पानी में आसपास के पहाड़ों का प्रतिबिंब दिखाई पड़ रहा था. बच्चों को अब तक किये सारे बोटिंग पोइंट्स याद आ रहे थे – देवघर का नंदन पहाड़ी, मंदार हिल, कोलकत्ता, कुम्भ और विन्धाचल. उनके कभी न खत्म होने वाले प्रश्नों के बीच हमारी बोटिंग समापन को थी, पर बच्चे तो अब बोट में ही जमने के फ़िराक में लग रहे थे. थोड़ा और थोड़ा करते आखिर में बोट किनारे पहुंची और हमारी इस ट्रिप में नैनीझील में बोटिंग का यह आनन्द भी जुड गया. नैनीताल आएं और बिना बोटिंग किये लौट जाएँ तो समझे नैनीताल ट्रिप अधूरा ही रह गया.

कुछ देर बोटिंग पॉइंट के पास ही बैठकर वहाँ से दिखते नयनाभिराम दृश्य को अपने अंदर समेटने की कोशिश करता रहा. वहीँ पर उलटी पड़ी एक नई बोट देख बच्चे आश्चर्यचकित. “पापा ये बोट बाहर इन्ना ऊपर कैसे आ गया?” – छोटे कुमार का प्रश्न था. उनको समझाया, दिखाया यह बोट नई बन रही है. जब पूरी तरह तैयार हो जाएगा तो फिर पानी में उतारा जाएगा. बच्चों ने बाहर आते वक्त आस-पास सजी दुकानों से कुछ खिलौने ख़रीदे, जो हमारे सामान का बोझ बढ़ाने वाले थे. कुछ खाने-पीने का दौर भी चला, पर मैं फोटो लेने में मगन था तो उस ओर मेरा जरा भी ध्यान नहीं था. इस तरह हमारा नैनीझील में बोटिंग का कार्यक्रम समाप्त हुआ.


बोटिंग के लिये ध्यान रखने वाली बात
- पाल वाली विशेष बोट सबके लिए बिल्कुल भी नहीं है.
- हाफ सर्कल और फुल सर्कल बोटिंग से मतलब आधी नैनी ताल और पूरी नैनी ताल का चक्कर बिल्कुल भी नहीं. नैनीझील में कई बोटिंग पॉइंट बने हैं और सबका अपना क्षेत्र निश्चित है. उसी क्षेत्र में वो हाफ और फुल सर्कल चक्कर लगाते हैं.
- पैडल बोटिंग सामान्यतः हमें देखने को मिल ही जाता है, तो यहाँ आप चप्पू से चलने वाली बोटिंग का आनन्द लें. इससे आप थकेंगे भी नहीं और नैनीताल में बोटिंग के दौरान आप आराम से नजारों का मजा ले सकते हैं.
- पैडल बोटिंग यहाँ की लहरों की वजह से काफी थकानेवाला होता है.
- बोटिंग के बाद मांझी को कुछ भी देने की जरूरत नहीं, उसे उसके हिस्से की राशि ट्रिप के हिसाब से शाम में काउंटर से मिल जाती है.
- झील गहरी है, इसलिए बोट पर स्टंट करने की कोशिश बिल्कुल न करें.
- ज्यादा भीड़-भाड़ में लाइफ जैकेट उपलब्द नहीं हो पाते, पर कोशिश करें और लाइफ जैकेट पहनकर ही बोटिंग करें.
- भले ही आपको किसी बोटिंग वाले ने घुमाने के लिए बोला और आप चल दिए पर चार्ज और समय टिकट काउंटर पर लगे चार्ट से खुद देख लें. कई बार बोटिंग वाले आपको फुल सर्किल के बदले हाफ सर्किल में ही निपटा देते हैं.
शेष अगली किस्त में …
What a wonderful way you writing Mr. Anshuman. Really amazing. Keep it up.
Thank You Ful Chandra Singh ji.
Will try to give every possible information.
बिल्कुल सही कहा सर नैनीताल आकर अगर बोटिंग का मजा नहीं लिया तो कुछ नहीं किया। बहुत बढ़िया वर्णन। आभार
अवनीश कौशिक जी,
नैनीताल के दो मुख्य आकर्षण हैं –
एक नैनी झील और दूसरा माल रोड की शाम की रौनक.
अब यहाँ जाकर इन दोनों में से एक भी छोड़ा गया तो यात्रा अधूरी ही रह गई.
धन्यवाद यात्रा में मानसिक रूप से साथ बने रहने के लिये.
Bhaut Khoobsurat Blog hai sir aapka…! Badiya Article
आभार मनोज जी, आपको पसंद आया तो मेहनत सफल हुई.
इस पोस्ट में काफी अहम जानकारियां साझा की हैं आपने,पढ़कर अच्छा लगा।
Prakash Singh ji,
धन्यवाद, आपको दी गई जानकारी पसंद आई. कोशिश की है छोटी – बड़ी सारी जानकारी दे सकूँ.